आजकल मेरी आँखों से सब दिखाई देता है
चेहरे की क्या बात कहूँ दिल दिखाई देता है
पहचान बदलने लगी जानने वालों की
मन के पास बैठा अनजान दिखाई देता है
कभी धुप में घूमते वक्त का पता न था ,
आज छावं में बैठा पूरा दिन दिखाई देता है
माना की मुकम्मल नहीं है प्यार मेरा फिर भी
तुम्हारे इनकार में इकरार दिखाई देता है
क़द्र करते हैं सभी नवीन के आँखों की ,
मेरी आँखों में झिलमिलाता वो दिखाई देता है....
नवीन "नव "
नवीन "नव "
No comments:
Post a Comment