Saturday, September 24, 2011


आजकल मेरी आँखों से सब दिखाई देता है
चेहरे की क्या बात कहूँ दिल दिखाई देता है
पहचान बदलने लगी जानने वालों की
मन के पास बैठा अनजान दिखाई देता है
कभी धुप में घूमते वक्त का पता न था ,
आज छावं में बैठा पूरा दिन दिखाई देता है
माना की मुकम्मल नहीं है प्यार मेरा फिर भी
तुम्हारे इनकार में इकरार दिखाई देता है
क़द्र करते हैं सभी नवीन के आँखों की ,
मेरी आँखों में झिलमिलाता वो दिखाई देता है....
नवीन  "नव "

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