Thursday, February 2, 2012

एक बात कहनी थी, तुमसे

जब रातों में

ठंडी हवाएँ बहकर

तुम्हारी गर्म साँसों से मिलती हो

और चलती हो ऐसे जैसे,

घुंघुरुओं की आवाज़ आती हो ,

मन बैचेन , आँखों की नींद

सिरहाने कहीं तकती हो तुम्हे

एकटक ...........

और कहती हो ,

क्या पास कोई मन के,

ख्वाब आया है,

मैंने तो नहीं फिर

तुम्हे किसने जगाया है,

ये सवाल

पवन के एक झोंके ने ,

इधर भी किया है

क्या कहूँ उससे ,

कुछ छिपा नहीं तुमसे ,

बस यही एक बात कहनी थी, तुमसे ............

2 comments:

S.N SHUKLA said...

सुन्दर सृजन,सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुंदर एहसास...................

अनु