Tuesday, November 5, 2013

मै अक्सर हार जाता हूँ....

तर्क वितर्क और कुतर्को के बीच,
मै अक्सर हार जाता हूँ....

क्योंकि
मुझे मालूम है, कि
मेरे हारने से
उन्हें खुशी मिलती है.....
और शायद
उनके खुश रहने से, मुझे...

मै अक्सर....
हस्तिनापुर के लिए,
कुरुक्षेत्र हार जाता हूँ,

तर्क वितर्क और कुतर्कों के बीच,
मै अक्सर हार जाता हूँ.....

Saturday, August 18, 2012

ये आग और फैलेगी ,
हम सब जलेंगे ,
कराहेंगे , तरपेंगे , मरेंगे
पर जब बुझाने की बारी आएगी ,
हम दूसरों की ओर निगाहें कर
कहेंगे
ये आग मुझसे नहीं लगी ,
तो बुझाउन क्यों ...,

और आग
आगे बढ़ जायेगी,
फैलने के लिए ,
जलाने के लिए ,
मिटाने के लिए.......
                           -नवीन

Tuesday, June 19, 2012


और, तुम रूठ जाती हो

हम डोर पतवार की तरह
चलते हैं साझे साझे
क्यों शोख हवाओं के बीच
तन जाते हैं हमारे रिश्ते...
कुछ और कहना चाहता हूँ ,
तुम कुछ और समझ जाती हो
फिर, तुम मुझसे रूठ जाती हो....

ऐसा नहीं की सारी दिक्कत
तुम्हारे समझने में है,
और मेरी कोई ऐठन नहीं ,
मैं भी कभी उन्मुक्ता की डोर पकडे ,
तुम्हारी आगोश से दूर आ जाता हूँ
जानता हूँ तुम वहीँ बैठे ,
कर रही हो इंतज़ार मेरा
और आँखें तकती होंगी,
बेचैन एकटक राह मेरा
कैसे कहूँ तुम बंधन नहीं मुक्ति हो ....
और क्या करूँ ....
जब तुम रूठ जाती हो....

आज एक कसक जो
तुम्हारी बातों में झलक रहा था
न जाने चुराती आँखों से
क्या कह रहा था ,
वैसे ज्यादा शब्द कहती भी नहीं
तुम्हारी आँखें
वो तो बस एहसास कराती हैं
तुम्हारे होने का ....
कहने और न कहने के बीच,
ये तुम क्या बताती हो ,
समझ नहीं पता मै ....
और तुम रूठ जाती हो.............
   
नवीन "नव"

Thursday, February 2, 2012

एक बात कहनी थी, तुमसे

जब रातों में

ठंडी हवाएँ बहकर

तुम्हारी गर्म साँसों से मिलती हो

और चलती हो ऐसे जैसे,

घुंघुरुओं की आवाज़ आती हो ,

मन बैचेन , आँखों की नींद

सिरहाने कहीं तकती हो तुम्हे

एकटक ...........

और कहती हो ,

क्या पास कोई मन के,

ख्वाब आया है,

मैंने तो नहीं फिर

तुम्हे किसने जगाया है,

ये सवाल

पवन के एक झोंके ने ,

इधर भी किया है

क्या कहूँ उससे ,

कुछ छिपा नहीं तुमसे ,

बस यही एक बात कहनी थी, तुमसे ............

Wednesday, October 12, 2011

अलख

अलख

छोटे छोटे नर्म हाथ

पत्थरों की सतह पर

रगड़ते रगड़ते ,

मजबूत इमारतों की

नीव बुन रहे हैं .

उनके धुल से सने चेहरे

इमारतों के बीच ,

ढूंढते हैं

अपने मासूमियत को ,

जिन नर्म हाथों में

हमने कलम सजाने की बात की थी,

आज खोजते हैं ,

अपने रहनुमाओं को ,

और इन सब के बीच.........“मैं “

मैं चुपचाप इन पत्थरों के

बीच से गुजरकर ,

तैयार इमारतों में ,

“शिक्षा” की “अलख” जगाता हूँ ...........

ये , मैं क्या करता हूँ ............................... – नवीन कुमार

Saturday, September 24, 2011


आजकल मेरी आँखों से सब दिखाई देता है
चेहरे की क्या बात कहूँ दिल दिखाई देता है
पहचान बदलने लगी जानने वालों की
मन के पास बैठा अनजान दिखाई देता है
कभी धुप में घूमते वक्त का पता न था ,
आज छावं में बैठा पूरा दिन दिखाई देता है
माना की मुकम्मल नहीं है प्यार मेरा फिर भी
तुम्हारे इनकार में इकरार दिखाई देता है
क़द्र करते हैं सभी नवीन के आँखों की ,
मेरी आँखों में झिलमिलाता वो दिखाई देता है....
नवीन  "नव "

Sunday, November 7, 2010

himmat karne walon ki kabhi haar nahi hoti

lehron se dar kar nauka paar nahi hoti
himmat karne walon ki haar nahi hoti

(lehron=waves, dar=fear, nauka= boat, paar=cross, nahi= not,
himmat karne waale= courageous people, haar= defeat)

nanhi chinti jab dana lekar chalti hai
chadti deewaron par sau baar fisalti hai
mann ka vishwas ragon mein sahas banta hai
chad kar girna, gir kar chadna na akharta hai
akhir uski mehnat bekar nahi hoti
koshish karne waalon ki haar nahi hoti....

(nanhi chinti = small ant, dana=grain, chalti = walks, chadti deewar = climbs the wall, sau baar= hundered times, fisalti= slips,
mann ka vishwas= belief / determination, ragon = veins/ nerves, sahas= bravery/courage, banta= becomes, girna= fall, akharta= discourage,
akhir= finally, mehnat= hard work, bekar= useless,
koshish= attempt)


dubkiyan sindu mein gota khor lagaata hai
ja ja kar khali haath laut aata hai
milte na sehej hi moti pani mein
behta duna utsah issi heiraani mein
mutthi uski khali har baar nahi hoti
himmat karne walon ki haar nahi hoti....

(dubkiyan = dive, sindu = indus river, gota khor= person looking for pearls, khaali haath= empty handed, laut = return,
milte = get, sehaj = easily, moti= pearls, pani = water, behta = flows, duna= twice over/ double, utsah= enthusiasm ,
mutthi= fist, uski= his, khaali = empty, har baar= everytime)

asaflta ek chunati hai sweekar karo
kya kami reh gayi dekho aur sudhaar karo
jab tak na safal ho neend chain ki tyago tum
sangharshon ka maidaan chhod mat bhago tum
kuch kiye bina hi jai jai kaar nahi hoti
himmat karne walon ki haar nahi hoti....

Failure is a challenge, accept it,
See what went wrong and improve on it,
Don't rest till you succeed,
Don't give up your efforts,
Praise doesn't come free,
Courageous people never fail.