एक बात कहनी थी, तुमसे
जब रातों में
ठंडी हवाएँ बहकर
तुम्हारी गर्म साँसों से मिलती हो
और चलती हो ऐसे जैसे,
घुंघुरुओं की आवाज़ आती हो ,
मन बैचेन , आँखों की नींद
सिरहाने कहीं तकती हो तुम्हे
एकटक ...........
और कहती हो ,
क्या पास कोई मन के,
ख्वाब आया है,
मैंने तो नहीं फिर
तुम्हे किसने जगाया है,
ये सवाल
पवन के एक झोंके ने ,
इधर भी किया है
क्या कहूँ उससे ,
कुछ छिपा नहीं तुमसे ,
बस यही एक बात कहनी थी, तुमसे ............
2 comments:
सुन्दर सृजन,सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .
बहुत सुंदर एहसास...................
अनु
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